सरगुजा संभागायुक्त जीआर चुरेंद्र ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में जुलाई माह में दो मरीजों की मौत के मामले में लापरवाही के आरोपों पर गंभीरता दिखाते हुए जांच दल का गठन किया था। जांच दल की रिपोर्ट में पाया गया कि संबंधित डॉक्टरों और स्टाफ ने अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरती, जिसके कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।
जांच रिपोर्ट में ये लापरवाह पाए गए-
जांच के अनुसार, डॉ. शेखर लाल कंवर, डॉ. शिवम सिंह चौहान, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. नूर अकरम अली, डॉ. भरत पटेल (पीजी जूनियर रेजिडेंट, प्रथम वर्ष) और स्टाफ नर्स श्रीमती ज्योति, कुमारी माधुरी, गायत्री, व रोशलीन की लापरवाही सामने आई है।

संभागायुक्त द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई-
पीजी छात्र डॉक्टरों की प्रशिक्षण अवधि छह महीने बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। स्टाफ नर्सों की परिवीक्षा अवधि को एक वर्ष बढ़ाने की सिफारिश बरकरार रखी गई है।
अस्पताल प्रबंधन पर भी सवाल उठाते हुए, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. जेके रेलवानी, संयुक्त संचालक व अधीक्षक डॉ. रमेश चंद्र आर्या, सहायक अस्पताल अधीक्षक डॉ. संटु बाघ, व डॉ. जीके दामले के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

शिकायत और आगे की प्रक्रिया-
यह कार्रवाई शिकायतकर्ता आलोक दुबे की ओर से दर्ज की गई शिकायत के आधार पर की गई, जिसमें डॉक्टर और नर्सों की लापरवाही के कारण मरीजों की मौत होने का आरोप लगाया गया था। जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया संचालक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रेषित की गई है।
सरगुजा संभागायुक्त ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में अस्पताल प्रबंधन और कर्मचारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण बेहतर हो, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।