दुर्ग के जिला चिकित्सालय के शिशु अस्पताल में नवजात बच्चों की अदला-बदली का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अस्पताल स्टाफ की लापरवाही के कारण एक हिंदू परिवार के बच्चे को मुस्लिम परिवार और मुस्लिम परिवार के बच्चे को हिंदू परिवार को सौंप दिया गया। मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है, और अब बच्चों के DNA टेस्ट की बात कही जा रही है।
मामला 23 जनवरी का है। दुर्ग के केलाबाड़ी निवासी शबाना कुरैशी ने ऑपरेशन से एक बेटे को जन्म दिया, और 9 मिनट बाद नेहरू नगर निवासी साधना ने भी सीजेरियन से एक बेटे को जन्म दिया। अस्पताल स्टाफ ने दोनों बच्चों के हाथ में पहचान के लिए टैग लगाए, लेकिन लापरवाही के चलते टैग के नामों को ध्यान से नहीं देखा गया।
इस गलती के कारण शबाना का बच्चा साधना के पास पहुंच गया और साधना का बच्चा शबाना को दे दिया गया। एक सप्ताह तक दोनों माताएँ बच्चों को अपना मानकर दूध पिलाती रहीं।
जब शबाना के परिवार वालों ने बच्चे के टैग पर लिखे नाम को गौर से देखा, तो उन्हें गड़बड़ी का अहसास हुआ। उन्होंने तुरंत शिशु अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क किया। जांच करने पर मामला सही निकला।
हालांकि, साधना ने बच्चा वापस देने से इनकार कर दिया। इस पर शबाना के जेठ मोहम्मद अशरफ कुरैशी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और DNA जांच की मांग की।
मोहम्मद अशरफ कुरैशी:
“यह अस्पताल की लापरवाही से हुआ है। हमें शक होने पर जब देखा तो टैग पर नाम अलग था। हमने डॉक्टरों को बताया, लेकिन अब मामला उलझ गया है। हमें बच्चे की सही पहचान के लिए DNA जांच चाहिए।”
मामला सामने आने के बाद शिशु अस्पताल की सीनियर लेबर इंचार्ज डॉक्टर विनीता धुर्वे ने भी स्वीकार किया कि यह स्टाफ की गलती है। उन्होंने भरोसा दिया कि DNA जांच के बाद मामला स्पष्ट हो जाएगा।
डॉक्टर विनीता धुर्वे:
“स्टाफ से गलती हुई है, जिसकी जांच की जा रही है। DNA रिपोर्ट आने के बाद सही माता-पिता का पता चल जाएगा।”
फिलहाल मामला पुलिस और अस्पताल प्रशासन के बीच जांच में है। DNA टेस्ट के बाद ही साफ हो पाएगा कि किसका बच्चा किसे मिलेगा। अस्पताल की इस लापरवाही ने दो परिवारों को मुश्किल में डाल दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस गलती की भरपाई कैसे करता है।